Adani Green Solar Project
Adani Green Solar Project: भारत सरकार ने हरित ऊर्जा के क्षेत्र में क्रांति लाने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इंटर-स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम (ISTS) चार्ज माफी के माध्यम से न केवल ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा मिला है, बल्कि राज्यों को हरित ऊर्जा अपनाने में भी प्रोत्साहन मिला है। यह लेख इस डील के महत्व, आर्थिक प्रभाव, और इससे जुड़े विवादों को विस्तार से समझाएगा।
ISTS चार्ज माफी का महत्व
ISTS (Inter-State Transmission System) चार्ज वह शुल्क है जो बिजली को एक राज्य से दूसरे राज्य में ट्रांसमिशन करने पर लगाया जाता है। यह चार्ज बिजली की कुल लागत को बढ़ाता है। केंद्र सरकार ने इस चार्ज को माफ करके राज्यों को हरित ऊर्जा खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया।
ISTS माफी के कारण हुए लाभ:
- लागत में कमी:
ISTS चार्ज माफी के बाद प्रति यूनिट 80 पैसे की बचत हुई, जिससे आंध्र प्रदेश सरकार को हर साल लगभग ₹1,360 करोड़ की राहत मिली। - हरित ऊर्जा को बढ़ावा:
ISTS माफी से बिजली उत्पादन और वितरण की लागत कम होने से राज्यों ने सौर ऊर्जा परियोजनाओं में अधिक रुचि दिखाई।
मुख्य बिंदु | विवरण |
---|---|
ISTS चार्ज माफी की बचत | प्रति यूनिट 80 पैसे (₹1,360 करोड़ सालाना) |
प्रोजेक्ट की क्षमता | 12 गीगावाट |
समझौते की अवधि | 25 साल |
समग्र बचत | ₹34,000 करोड़ |
आदानी ग्रीन और Azure Power की भूमिका
केंद्र सरकार ने सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) के माध्यम से 12 गीगावाट के सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट्स आदानी ग्रीन और एज़्योर पावर को आवंटित किए। ये दोनों कंपनियां भारत में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में प्रमुख खिलाड़ी हैं।
आदानी ग्रीन सोलर प्रोजेक्ट: एक दृष्टि
- कुल प्रोजेक्ट क्षमता: 12 गीगावाट
- पहला चरण: अप्रैल 2025 तक 1,000 मेगावाट
- शेष प्रोजेक्ट: जून 2025 के बाद
- लाभार्थी राज्य: आंध्र प्रदेश, गुजरात
Azure Power की भूमिका
Azure Power, आदानी ग्रीन के साथ, इन प्रोजेक्ट्स में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। SECI के तहत यह परियोजना राज्य सरकारों के लिए हरित ऊर्जा के स्रोत प्रदान करने का माध्यम है।
Azure Power के बारे में अधिक जानें
बिजली मंत्रालय द्वारा शर्तों में बदलाव
केंद्र सरकार ने 30 नवंबर 2021 को ISTS चार्ज माफी की घोषणा के साथ दो मुख्य शर्तों में बदलाव किए:
- समाप्ति समयसीमा:
पहले परियोजनाओं को 30 जून 2025 तक पूरा करना था। अब इस समयसीमा को लचीला बनाया गया है। - Renewable Power Obligation (RPO):
RPO का उद्देश्य राज्यों को अपनी कुल बिजली खपत का एक हिस्सा नवीकरणीय ऊर्जा से पूरा करना है।
Renewable Power Obligation (RPO) के बारे में पढ़ें
आंध्र प्रदेश सरकार के लिए समझौता
आंध्र प्रदेश सरकार ने 1 दिसंबर 2021 को SECI के साथ पावर सेल एग्रीमेंट (PSA) पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते के तहत राज्य ने ₹2.49 प्रति यूनिट की दर पर बिजली खरीदने का वादा किया।
समझौते की प्रमुख शर्तें:
- दर: ₹2.49 प्रति यूनिट (ISTS चार्ज माफी के बाद)
- समयसीमा: 25 साल
- बिजली की कुल खपत: 1,700 करोड़ यूनिट
अगर ISTS चार्ज माफ नहीं किया जाता, तो राज्य को यह बिजली ₹3.29 प्रति यूनिट की दर से खरीदनी पड़ती।
इस समझौते से 25 सालों में कुल ₹34,000 करोड़ की बचत होगी।
आंध्र प्रदेश सरकार की आधिकारिक वेबसाइट
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ISTS चार्ज माफी: आर्थिक लाभ और विवाद
ISTS माफी ने जहां एक ओर हरित ऊर्जा को सस्ती और सुलभ बनाया, वहीं इस डील से जुड़े विवादों ने सवाल भी खड़े किए।
आर्थिक लाभ:
- ISTS माफी से राज्यों को आर्थिक रूप से राहत मिली।
- बिजली की लागत में कमी ने राज्यों को अधिक सौर ऊर्जा खरीदने के लिए प्रेरित किया।
- राज्यों की बिजली वितरण कंपनियों (DISCOMs) को ISTS माफी के कारण वित्तीय लाभ हुआ।
विवाद:
हाल ही में अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस ने आदानी समूह पर रिश्वत के आरोप लगाए। इन आरोपों में आंध्र प्रदेश के वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए।
आदानी समूह ने इन आरोपों को “बेबुनियाद” बताते हुए खारिज कर दिया।
आदानी समूह की आधिकारिक वेबसाइट
प्रोजेक्ट में देरी और कारण
आदानी ग्रीन और Azure Power द्वारा संचालित सौर परियोजनाओं में देरी के मुख्य कारण Central Transmission Utility (CTU) द्वारा समय पर ग्रिड की उपलब्धता न होना है।
विलंब के प्रभाव:
- परियोजना की समयसीमा को आगे बढ़ाया गया।
- SECI ने देरी को मान्यता देते हुए नई समयसीमा तय की।
सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) ने डेवलपर्स को प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए अतिरिक्त समय दिया है।
ISTS माफी के दीर्घकालिक प्रभाव
ISTS माफी के माध्यम से केंद्र सरकार ने न केवल सौर ऊर्जा को बढ़ावा दिया है, बल्कि देश के ऊर्जा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने में भी मदद की है।
लाभ:
- सस्ती हरित ऊर्जा: ISTS माफी ने बिजली की लागत कम की।
- नवीकरणीय ऊर्जा का विस्तार: सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं को प्रोत्साहन मिला।
- राज्यों को प्रोत्साहन: राज्यों ने अधिक हरित ऊर्जा खरीदने में रुचि दिखाई।
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