भारत में अगले साल से जनगणना का कार्य प्रारंभ होने की उम्मीद

भारत में अगले साल से जनगणना का कार्य प्रारंभ होने की उम्मीद: लोकसभा पुनर्विभाजन और जाति गणना पर रहेगा प्रभाव

भारत में अगले साल से जनगणना का कार्य प्रारंभ होने की उम्मीद: भारत में लंबे समय से प्रतीक्षित जनगणना का कार्य अगले साल से शुरू होने की संभावना है। कोविड-19 महामारी के कारण 2021 की जनगणना को स्थगित करना पड़ा था, जिसके बाद यह अब 2025-26 में होने की उम्मीद है। यह जनगणना न केवल जनसंख्या की गणना के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका लोकसभा सीटों के पुनर्विभाजन पर भी गहरा प्रभाव पड़ेगा। इसके साथ ही, जाति गणना के मुद्दे को लेकर भी जनता और राजनीतिक दलों में चर्चा जारी है।

जनगणना का महत्व और इतिहास

भारत में हर दस साल में जनगणना की जाती है, जो पिछले कई दशकों से नियमित रूप से जारी है। स्वतंत्रता के बाद से 1951 में पहली जनगणना हुई, और इसके बाद हर दस साल में यह प्रक्रिया होती आई है। यह पहली बार है जब जनगणना इतनी देरी से हो रही है, और 2026 में होने वाली यह जनगणना, लोकसभा के पुनर्विभाजन के लिए आधार बनेगी।

मुख्य बिंदुविवरण
जनगणना की शुरुआतअगले साल से कार्य प्रारंभ होने की संभावना
पिछली जनगणना2011 में संपन्न हुई
विलंब का कारणकोविड-19 महामारी
जाति गणना की मांगविपक्षी दलों द्वारा समर्थन
पुनर्विभाजन का प्रभावलोकसभा सीटों का पुनर्विभाजन
भारत में अगले साल से जनगणना का कार्य प्रारंभ होने की उम्मीद

जनगणना और लोकसभा पुनर्विभाजन

भारत में अगले साल प्रारंभ होने वाली जनगणना 2025-26 तक पूरी होने की उम्मीद है, जिसके बाद पुनर्विभाजन का कार्य शुरू होगा। इस प्रक्रिया को “पुनर्विभाजन” कहा जाता है, जिसमें जनसंख्या के आधार पर संसदीय क्षेत्रों का पुनर्विन्यास किया जाएगा। यह बदलाव भारत के उत्तरी और दक्षिणी राज्यों के बीच राजनीतिक संतुलन को प्रभावित करेगा।

पुनर्विभाजन का संभावित प्रभाव

पुनर्विभाजन के बाद, उत्तर प्रदेश जैसी बड़ी आबादी वाले राज्य की लोकसभा सीटों में वृद्धि हो सकती है, जबकि केरल जैसे राज्यों की सीटें स्थिर रह सकती हैं। यह प्रक्रिया विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधित्व को सीधे प्रभावित करेगी, जो पहले से ही जनसंख्या और विकास दर में असमानता का सामना कर रहे हैं।

जाति गणना का मुद्दा

जाति गणना का मुद्दा भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण विषय बन गया है। कई विपक्षी दलों ने जाति आधारित गणना की मांग की है ताकि सभी जातियों का समान रूप से प्रतिनिधित्व हो सके। वर्तमान में, केवल अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की गणना की जाती है, जबकि स्वतंत्रता के समय से ही अन्य जातियों की गणना बंद कर दी गई थी।

भारत में अगले साल से जनगणना का कार्य प्रारंभ होने की उम्मीद

जाति गणना के समर्थन और विरोध में तर्क

विपक्षी दल जैसे कांग्रेस और जनता दल (यूनाइटेड) जाति गणना का समर्थन करते हैं, जबकि सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी ने अभी इस पर स्पष्ट रुख नहीं अपनाया है। कुछ राजनीतिक विचारधाराओं के अनुसार, जाति गणना का उद्देश्य केवल सामाजिक कल्याण न होकर राजनीतिक हित साधना भी हो सकता है।

डिजिटल जनगणना और नागरिकों के लिए नया अवसर

इस बार जनगणना को डिजिटल रूप में किया जाएगा, जिसमें नागरिक खुद से डेटा भर सकते हैं। सरकार द्वारा एक विशेष पोर्टल तैयार किया गया है, जहां लोग स्वयं अपनी जानकारी अपलोड कर सकेंगे। यह प्रक्रिया नागरिकों को सशक्त बनाएगी और डेटा संग्रहण को अधिक पारदर्शी बनाएगी।

महिला आरक्षण बिल का प्रभाव

महिला आरक्षण बिल, जो संसद और विधानसभाओं में एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करता है, इस जनगणना के बाद ही प्रभावी होगा। इसके चलते पुनर्विभाजन के बाद महिलाओं का प्रतिनिधित्व अधिक होगा, जिससे समाज में लैंगिक समानता को बढ़ावा मिलेगा।

नए प्रश्नावली में शामिल विशेष बिंदु

जनगणना के दौरान 31 सवाल पूछे जाएंगे। इनमें धर्म, जाति, शिक्षा, आय और घर के अन्य सदस्यों के बारे में जानकारी शामिल होगी। इसके अतिरिक्त, नागरिक विभिन्न संप्रदायों का भी उल्लेख कर सकेंगे, जैसे रविदासी, राममनी, आदि।

संभावित चुनौतियाँ

जनगणना के दौरान संभावित चुनौतियों में डेटा की विशालता, जाति और संप्रदाय आधारित गणना, और राजनीतिक पार्टियों के बीच पुनर्विभाजन को लेकर असहमति शामिल है। पुनर्विभाजन के बाद उत्तर भारत के राज्यों में सीटों की संख्या बढ़ सकती है, जबकि दक्षिण भारत के राज्यों की संख्या में स्थिरता बनी रह सकती है, जो विवाद का विषय बन सकता है।

भारत में अगले साल से जनगणना का कार्य प्रारंभ होने की उम्मीद निष्कर्ष

भारत की आगामी जनगणना न केवल जनसंख्या गणना बल्कि देश के राजनीतिक संरचना में भी परिवर्तन लाएगी। जाति गणना की मांग, डिजिटल जनगणना की शुरुआत और पुनर्विभाजन के कारण यह जनगणना ऐतिहासिक होने जा रही है। यह देखना रोचक होगा कि यह प्रक्रिया भारत के राजनीतिक परिदृश्य को कैसे प्रभावित करेगी।

भारत में अगले साल से जनगणना का कार्य प्रारंभ होने की उम्मीद FAQs

प्रश्न 1: भारत में जनगणना कब शुरू होगी?
उत्तर: जनगणना अगले साल शुरू होने की संभावना है और यह 2025-26 तक पूरी हो सकती है।

प्रश्न 2: क्या इस बार जाति गणना भी होगी?
उत्तर: अभी इस पर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन कई दल जाति गणना की मांग कर रहे हैं।

प्रश्न 3: लोकसभा पुनर्विभाजन किस पर आधारित होगा?
उत्तर: यह पुनर्विभाजन जनगणना 2026 के डेटा पर आधारित होगा।

प्रश्न 4: डिजिटल जनगणना कैसे होगी?
उत्तर: इस बार एक डिजिटल पोर्टल के माध्यम से नागरिक स्वयं अपनी जानकारी दर्ज कर सकते हैं।

प्रश्न 5: पुनर्विभाजन से किस राज्य पर अधिक प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर: उत्तर प्रदेश जैसे बड़े जनसंख्या वाले राज्यों की सीटों में वृद्धि हो सकती है।

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